पत्रकार अरविंद दास हिंदी में मीडिया के सरोकारों को समझने और उसपर लिखने वाले लेखक हैं. ‘अनुज्ञा बुक्स’ से उनकी इसी विषय पर नयी पुस्तक आ रही है- ‘मीडिया का मानचित्र’. पूंजी, मीडिया और सत्ता का गठजोड़ प्रजातंत्र के लिए कितना घातक हो सकता है इसे कहने की जरूरत नहीं है. डिजिटल मीडिया के आगमन से इसका (दुष्)प्रभाव अचूक हो गया है और यह अति को प्राप्त हो गयी है. जनता के प्रति जवाबदेही और सत्य के प्रति निष्ठा जैसे पत्रकारिता के मूल्य बिसरा दिए गये हैं. आज मीडिया सत्ता से स्वार्थ साधने में समर्थ लोगों की सीढ़ी बन गयी है. इस किताब की भूमिका से संपादित अंश यहाँ प्रकाशित किये जा रहें हैं. उम्मीद है किताब पसंद की जायेगी. (समालोचन: https://samalochan.blogspot.com/2021/03/blog-post_17.html) मीडिया का मानचित्र अरविंद दास स माज के विकास की अवस्था के साथ ही संचार की तकनीकी और माध्यम का भी विकास होता रहा है. औपनिवेशिक शासन के दौरान हरकारे , डाक , भाट , रिसाले आदि खबरों , सूचनाओं के प्रसार का माध्यम होते थे. फिर अखबारों की दुनिया से गुजरते हु